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Devrishi से जानिए: क्या है स्वर योग और कैसे बदल सकता है इससे आपका जीवन?

shiv parvati swar yog by devrishi

shiv parvati swar yog by devrishi

लेखक: देवऋषि | भारतीय दार्शनिक और आध्यात्मिक वैज्ञानिक
(Founder – Nada Yoga Research Council, Sonic Philosopher)

क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जब आप क्रोधित होते हैं तो सांस तेज़ और उथली हो जाती है, और जब आप शांत होते हैं तो यह गहरी और लयबद्ध होती है? यह कोई संयोग नहीं है — यह हमारी चेतना और श्वास के मध्य चल रही एक सूक्ष्म लय का संकेत है। इस लय को समझने और साधने की परंपरा को ही स्वर योग कहते हैं।

स्वर योग केवल सांस की गति का निरीक्षण नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा विज्ञान है जो शरीर, मन और आत्मा के सामंजस्य की कुंजी है। मैंने अपने शोध और साधना में पाया कि स्वर योग के माध्यम से व्यक्ति न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पा सकता है, बल्कि आंतरिक शांति, निर्णयशक्ति और चेतना की ऊँचाइयों तक पहुँच सकता है।

🔍 स्वर योग क्या है?

संस्कृत में ‘स्वर’ का अर्थ है – “अपनी ओर बहने वाली जीवन-शक्ति की धारा”, और ‘योग’ का अर्थ है – “संयोजन या मिलन”।
स्वर योग, श्वास के प्रवाह और नाड़ी-तंत्र के संतुलन से जुड़ा एक प्राचीन विज्ञान है, जो शरीर और ब्रह्मांड के बीच चल रहे ऊर्जा संवाद को समझने की कला है।

हमारे दो प्रमुख नासिका मार्ग (इड़ा और पिंगला) के माध्यम से श्वास की ऊर्जा बदलती रहती है।
दाहिने स्वर (पिंगला) से ऊर्जा, क्रियाशीलता और उष्णता सक्रिय होती है।
बाएँ स्वर (इड़ा) से विश्रांति, चित्तशुद्धि और चंद्र-ऊर्जा का प्रभाव होता है।
● और जब दोनों स्वर एक साथ प्रवाहित होते हैं, तब व्यक्ति समत्व की स्थिति में होता है — यही समय ध्यान, जप और आत्म-साक्षात्कार के लिए उपयुक्त होता है।

🧠 स्वर योग और स्वास्थ्य: वैज्ञानिक दृष्टिकोण

मेरे द्वारा स्थापित Nada Yoga Research Council में हमने यह देखा है कि:

✔️ स्वर योग अभ्यास से तनाव, उच्च रक्तचाप, नींद संबंधी विकारों और मानसिक चिंता में उल्लेखनीय सुधार होता है।
✔️ सही स्वर के अनुसार दिनचर्या चुनने से पाचन, हॉर्मोन और स्नायु-तंत्र में संतुलन आता है।
✔️ स्वर योग के साथ यदि मंत्र या ध्यान किया जाए तो मस्तिष्क की अल्फा और थीटा वेव्स सक्रिय होती हैं — जो मानसिक शांति और रचनात्मकता को बढ़ाती हैं।
✔️ यह प्राचीन विद्या आज न्यूरोसाइंस, बायो-रिदम और साइकोलॉजी में भी मान्यता प्राप्त कर रही है।

🌬️ स्वर योग की दैनिक साधना (Daily Practice Routine)

🕘 समय: प्रातः ब्रह्ममुहूर्त या रात्रि शयन से पूर्व

  1. शांत बैठें, आंखें बंद करें।
  2. जानें कि कौन-सा स्वर (नासिका मार्ग) सक्रिय है – बायाँ, दायाँ या दोनों।
  3. बायाँ स्वर सक्रिय हो तो — लेखन, चिंतन, अध्ययन या पूजा करें।
  4. दायाँ स्वर सक्रिय हो तो — शारीरिक श्रम, यात्रा या निर्णय लें।
  5. दोनों स्वर समान हों तो — ध्यान, मंत्र-जप या आत्म-अवलोकन करें।

📝 सुझाव: एक “स्वर योग जर्नल” रखें, जिसमें आप अपने श्वास, ऊर्जा और मनःस्थिति का निरीक्षण लिखते रहें — यह आपकी अंतर्दृष्टि को गहरा करेगा।

💡 स्वर योग से जीवन में परिवर्तन कैसे लाएँ?

स्वर योग केवल स्वास्थ्य सुधार का माध्यम नहीं, बल्कि चेतना-परिवर्तन की प्रक्रिया है।
जब आप अपने स्वर के साथ चलना सीखते हैं:

✅ तो आपका तनाव कम होता है, ऊर्जा बढ़ती है।
निर्णय क्षमता और अंतर्ज्ञान प्रबल होता है।
✅ दिनचर्या एक प्राकृतिक लय में बहने लगती है, जिससे आप अपने उच्चतम स्वरूप की ओर बढ़ते हैं।

📜 निष्कर्ष

स्वर योग — ऋषियों द्वारा प्रदत्त वह विद्या है जो आज के युग में मानवता के मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए संजीवनी बन सकती है।
जब सांसें आपके नियंत्रण में आ जाती हैं, तो आप अपने भाग्य के सूत्रधार स्वयं बन जाते हैं।

🙏 स्वर को केवल साधन न समझें, यह स्वयं एक साधना है।

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