Site icon DEVRISHI

क्या भगवान राम आज भी हमारे बीच हैं? दार्शनिक दृष्टिकोण

Philosophical representation of Lord Rama as eternal consciousness | राम एक चेतना हैं

राम केवल इतिहास नहीं, हमारे भीतर विद्यमान चेतना हैं।

हर वर्ष राम नवमी पर हम श्रीराम के जन्मोत्सव को मनाते हैं। परंतु एक गूढ़ प्रश्न भी हमारे हृदय में उठता है –
“क्या भगवान राम आज भी हमारे बीच हैं?”
क्या वे केवल इतिहास के पन्नों तक सीमित हैं, या वे एक सनातन सत्य और चेतना के रूप में आज भी जीवित हैं?

इस लेख में हम इस प्रश्न का उत्तर दार्शनिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से खोजेंगे।

1. भगवान राम – एक ऐतिहासिक पुरुष या सनातन चेतना?

श्रीराम को केवल त्रेता युग के राजा के रूप में देखना उनके स्वरूप को सीमित करना है।
राम का अर्थ है – रमन करने योग्य। वे केवल राजा नहीं, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं – वह आदर्श जो हर युग में प्रासंगिक है।

“रामो विग्रहवान धर्मः”
(राम धर्म के सजीव स्वरूप हैं।)

दार्शनिक दृष्टिकोण से, राम एक ऐसी चेतना हैं जो हर उस स्थान पर प्रकट होती है जहाँ सत्य, करुणा, और धर्म जीवित होते हैं।

2. राम के होने का अनुभव – मूर्तियों में नहीं, चेतना में है

भगवान राम की उपस्थिति को खोजने के लिए हमें मंदिरों से आगे बढ़कर अपने अंतःकरण की ओर देखना होगा।

राम चेतना है, भाव है, और जीवन का पथ है।

3. आधुनिक युग में राम का पुनर्जन्म

गीता कहती है –

“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत…”

जब-जब अधर्म बढ़ेगा, भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित होंगे।
आज भी जब कोई व्यक्ति समाज की सेवा करता है, जब कोई नेता अपने व्यक्तिगत लाभ को छोड़कर राष्ट्र के कल्याण का कार्य करता है – वह राम तत्व को जी रहा होता है।

राम आज किसी व्यक्ति के रूप में नहीं, परंतु विचार, आंदोलन और कर्म में जीवित हैं।

4. रामराज्य – भविष्य नहीं, एक आंतरिक अवस्था है

रामराज्य केवल एक राजनीतिक व्यवस्था नहीं है।
यह वह स्थिति है जहाँ:

जिस हृदय में यह भावनाएँ हैं, वहीं अयोध्या है, वहीं राम निवास करते हैं।

निष्कर्ष: क्या भगवान राम आज भी हमारे बीच हैं?

हाँ, यदि हम अपने जीवन में सत्य, सेवा, त्याग, और मर्यादा को स्थान देते हैं,
तो राम हर श्वास में जीवित हैं।
वे केवल एक युग का इतिहास नहीं, बल्कि एक सार्वकालिक दर्शन हैं।

“राम को देखना है तो अपने कर्मों को देखो।
राम को पाना है तो अपने हृदय को निर्मल बनाओ।”

देवऋषि

राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

इस पावन अवसर पर आइए हम श्रीराम को केवल पूजें नहीं, जीएं

लेखक परिचय:

देवऋषि एक आधुनिक दार्शनिक, लेखक, नाद योग और वैदिक विज्ञान के प्रचारक हैं।
वे Nada Yoga Research Council के संस्थापक हैं और अपने आध्यात्मिक लेखन, संगीत और शोध कार्यों के माध्यम से विश्व को वैदिक चेतना से जोड़ रहे हैं।
🌐 www.devrishi.org

Exit mobile version