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माँ के संकल्प से खड़ा हुआ ‘सनातन पुनर्जागरण’: साधना पांडेय की जीवनगाथा

प्रेरणा कथा विशेष | भोपाल

जब दुनिया मंच पर खड़े होकर सफलता की परिभाषा गढ़ रही थी, तब एक स्त्री अपने मौन, तप और धैर्य से एक ऐसे युग की नींव रख रही थी जो आने वाली पीढ़ियों के आत्मबोध का मार्ग बन जाएगा। यह कहानी है साधना पांडेय की — एक माँ, एक संस्कृति संरक्षिका, और एक ऐसी नारी, जिन्होंने न किसी आंदोलन का नेतृत्व किया, न कोई सार्वजनिक घोषणा की; फिर भी उनके द्वारा रचित मूल्य आज भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आधार बन चुके हैं।

साधना पांडेय Sanatan Wisdom Foundation की सह-संस्थापक हैं, साथ ही Mahagatha Publication और Mahagatha Music की निदेशक भी — पर इन पदों से पहले वे एक माँ हैं, जिन्होंने अपने दोनों बेटों को न केवल जीवन दिया, बल्कि उन्हें सनातन धर्म के आदर्शों के अनुरूप आकार दिया। उन्होंने समाज के उस दबाव को अस्वीकार किया जिसमें एक महिला से अपेक्षा की जाती है कि वह परिवार या रीति-रिवाजों की शर्तों पर ही जीवन जिए।

पति के निधन के बाद जब उन्हें काम करने से रोका गया और दूसरा विवाह करने का दबाव डाला गया, तब साधना पांडेय ने समाज से नहीं, अपने धर्म और कर्तव्य से संवाद किया। उन्होंने निर्णय लिया कि वे अपने बच्चों को सनातन मूल्यों के साथ बड़ा करेंगी — और यही निर्णय आज Devrishi और Vyomkesh के रूप में भारत को दो युवा नेतृत्वकर्ता दे चुका है।

उनका बड़ा बेटा पहले ऋषिकेश पांडेय के नाम से फिल्म और संगीत जगत में सफल रहा, पर जब उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग अपनाया, तो यही माँ थी जिन्होंने उन्हें नया नाम दिया — “देवऋषि”। आज देवऋषि नाद विज्ञान और मंत्र चिकित्सा पर शोध करने वाले Nada Yoga Research Institute के प्रमुख हैं और भारत की वैदिक चेतना को वैज्ञानिक धरातल पर स्थापित करने में जुटे हैं।

वहीं छोटा बेटा व्योमकेश पांडेय, आज Sanatan Wisdom Foundation के सभी प्रमुख अभियानों का संचालन करते हैं, जिनमें Sadanira जैसी राष्ट्रीय नदी संरक्षण परियोजना प्रमुख है। यह परियोजना भारत की पवित्र नदियों के पुनरुद्धार के लिए आधुनिक विज्ञान और वैदिक पारंपरिक ज्ञान को एक साथ लाती है।

पर माँ के योगदान केवल उनके पुत्रों के माध्यम से नहीं झलकते — वे स्वयं Mahagatha Publication के माध्यम से वैदिक साहित्य और ऐतिहासिक पुनर्निर्माण की दिशा में अग्रणी रही हैं। उनके निर्देशन में “Shakari – Vikramaditya”, “Ramraja”, “The Krishna Effects” और “A Life-Changing Approach” जैसी प्रेरणादायी पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है, जो आज युवाओं के मन में भारत के गौरवशाली अतीत के प्रति पुनः रुचि जगा रही हैं।

संगीत के क्षेत्र में भी उन्होंने Mahagatha Music और हाल ही में आरंभ हुए आध्यात्मिक संगीत लेबल Devoti के माध्यम से भक्ति, मंत्र और ध्यान से जुड़े गीतों और रचनाओं को नई पीढ़ी के लिए सुलभ और प्रभावी बनाया है।

साधना पांडेय की जीवनगाथा यह सिखाती है कि सशक्त नारी वह नहीं जो केवल अधिकार माँगे, बल्कि वह होती है जो मौन में भी निर्माण करती है, जो बिना विरोध के भी परिवर्तन लाती है, और जो बिना मंच पर आए भी अगली पीढ़ी को दिशा देती है।

वे प्रेरणा हैं उन सभी महिलाओं के लिए जो संघर्ष कर रही हैं — एक माँ, जिन्होंने अपने संकल्प से न केवल अपने परिवार, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना को पुनर्जीवित किया है। साधना पांडेय आज भी मंच से दूर हैं, पर उनके कार्यों की गूंज अब राष्ट्र की आत्मा में सुनाई देने लगी है।

Shakari Vikramaditya
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Devrishi

Philosopher, Author & Spiritual Researcher

Devrishi is an Indian philosopher, mystic, author and Spiritual Researcher. He is the founder of the Nada Yoga Research Council and a pioneering in the Global Nada Yoga Movement, dedicated to reviving and promoting the ancient practice of sound and mantra meditation. Devrishi is known for his contributions to Sanatan Sanskriti and Vedic culture, integrating traditional wisdom with modern scientific research.

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